जांजगीर/ शिवरीनारायण. धार्मिक स्थल शिवरीनारायण में हर साल की तरह इस बार भी शिवरीनारायण मेला 9 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है! महानदी में स्थान कर भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए देर रात से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। प्रभु के दर्शन की ललक में पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं के जत्था पहुंचा, जिससे वहां काफी भीड़ देखने को मिली। काफी श्रद्धालु वाहन से पहुंचे तो कोई साइकिल हजारों लोग पैदल व जमीन नापते मन्नत लेकर पहुंचे।
महानदी, जोंक नदी और शिवनाथ नदी के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर भगवान नारायण के दर्शन करने के लिए हरसाल हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु राज्य सहित दूसरे राज्यों से यहां पहुंचते हैं। यह मेला हर साल शिवरीनारायण में माघ पूर्णिमा के समय लगता है। यहां दूर-दूर से श्रद्घालुगण भगवान राम, लक्ष्मण और सीता सहित माता शबरी मां के दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस पावन ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल में राम-सीता, लक्ष्मण एवं माता शबरी सहित काफी संख्या में मंदिर एवं देवालय हैं। यहां लोग दर्शन लाभ लेकर अपनी मन्नत भगवान के सामने रखते हैं और जिनकी मनोकामना पूरी होती है वह यहां अपनी-अपनी मानी गई मन्नत के मुताबिक चढ़ावा व प्रसाद वितरण आदि करते हैं।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही- मेले में आने वाले लोगों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। तीन पालियों में 150-150 जवान लोगों की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही शिवरीनारायण मेले में सीसीटीवी कैमरे से मेले में नजर रखी जा रही है। मेले में शांति व्यवस्था बनाने एवं किसी भी अप्रिय घटना रोकने के लिए हाईटेक सुरक्षा व्यवस्था अपनाई
गई है।
जमीन नापते पहुंचे श्रद्धालु- मान्यता है कि भगवान नारायण की शरण पहुंचकर इस पावन अवसर पर जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। अपनी इसी मुराद को पूरी करने के लिए भगवान नारायण के शरण में हजारों लोग जमीन नापते हुए भी शिवरीनरायण पहुंचे।
15 दिनों का मेला- यह मेला माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक करीब 15 दिनों का चलता है। मेले में आसपास सहित दूर-दराज इलाकों से पहुंचे लोग दर्शन के साथ ही समानों की खरीदी-बिक्री भी करते हैं। इस मेले में मनोरंजन के साधन जैसे सर्कस, मौत का कुआं, झूला सहित अन्य चीजें भी लगी हुई हैं।
जयकारे से गूंजा शहर- माघ पूर्णिमा के एक दिन पहले 9 फरवरी से ही यहां श्रद्धालुओं का जत्था पहुंच गया। रात भर शिवरीनारायण भगवान मंदिर परिसर में भजन कीर्तन चलता रहा। नगर के विभिन्न स्थानों पर भी रात को भजन कीर्तन चलता रहा। लाखों भक्त प्रभु का जयकारा लगाते रहे, जिससे पूरा शहर गूंजता रहा।
पॉलीथीन पर प्रतिबंधित- मेले को साफ रखने के लिए नगर पंचायत द्वारा पालीथीन के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी दुकानदार को पालीथीन पर समान बेचते पाए जाने पर उसके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। मेले के पहले दिन ही नगर पंचायत के अधिकारियों की टीम ने 15 किलोग्राम पॉलीथिन जप्त किया।
महानदी, जोंक नदी और शिवनाथ नदी के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर भगवान नारायण के दर्शन करने के लिए हरसाल हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु राज्य सहित दूसरे राज्यों से यहां पहुंचते हैं। यह मेला हर साल शिवरीनारायण में माघ पूर्णिमा के समय लगता है। यहां दूर-दूर से श्रद्घालुगण भगवान राम, लक्ष्मण और सीता सहित माता शबरी मां के दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस पावन ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल में राम-सीता, लक्ष्मण एवं माता शबरी सहित काफी संख्या में मंदिर एवं देवालय हैं। यहां लोग दर्शन लाभ लेकर अपनी मन्नत भगवान के सामने रखते हैं और जिनकी मनोकामना पूरी होती है वह यहां अपनी-अपनी मानी गई मन्नत के मुताबिक चढ़ावा व प्रसाद वितरण आदि करते हैं।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही- मेले में आने वाले लोगों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। तीन पालियों में 150-150 जवान लोगों की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही शिवरीनारायण मेले में सीसीटीवी कैमरे से मेले में नजर रखी जा रही है। मेले में शांति व्यवस्था बनाने एवं किसी भी अप्रिय घटना रोकने के लिए हाईटेक सुरक्षा व्यवस्था अपनाई
गई है।
जमीन नापते पहुंचे श्रद्धालु- मान्यता है कि भगवान नारायण की शरण पहुंचकर इस पावन अवसर पर जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। अपनी इसी मुराद को पूरी करने के लिए भगवान नारायण के शरण में हजारों लोग जमीन नापते हुए भी शिवरीनरायण पहुंचे।
15 दिनों का मेला- यह मेला माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक करीब 15 दिनों का चलता है। मेले में आसपास सहित दूर-दराज इलाकों से पहुंचे लोग दर्शन के साथ ही समानों की खरीदी-बिक्री भी करते हैं। इस मेले में मनोरंजन के साधन जैसे सर्कस, मौत का कुआं, झूला सहित अन्य चीजें भी लगी हुई हैं।
जयकारे से गूंजा शहर- माघ पूर्णिमा के एक दिन पहले 9 फरवरी से ही यहां श्रद्धालुओं का जत्था पहुंच गया। रात भर शिवरीनारायण भगवान मंदिर परिसर में भजन कीर्तन चलता रहा। नगर के विभिन्न स्थानों पर भी रात को भजन कीर्तन चलता रहा। लाखों भक्त प्रभु का जयकारा लगाते रहे, जिससे पूरा शहर गूंजता रहा।
पॉलीथीन पर प्रतिबंधित- मेले को साफ रखने के लिए नगर पंचायत द्वारा पालीथीन के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी दुकानदार को पालीथीन पर समान बेचते पाए जाने पर उसके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। मेले के पहले दिन ही नगर पंचायत के अधिकारियों की टीम ने 15 किलोग्राम पॉलीथिन जप्त किया।
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